ये अश्क चश्मों में हमदम रहे रहे न रहे By Ghazal << चाहिए अच्छों को जितना चाह... फ़ुर्क़त की आफ़त बुरे दिन... >> ये अश्क चश्मों में हमदम रहे रहे न रहे हबाब-दार कोई दम रहे रहे न रहे तू अपने शेवा-ए-जौर-ओ-जफ़ा से मत गुज़रे तिरी बला से मिरा दम रहे रहे न रहे फबा है रुख़ पे तिरे ख़ुश-नुमा सनम लेकिन हमेशा गुल पे ये शबनम रहे रहे न रहे Share on: