ये बात भी न जानते अंजान हैं सभी दुनिया में चंद रोज़ के मेहमान हैं सभी मौजूद घर में सुख के यूँ सामान हैं सभी फिर भी यहाँ पे लोग परेशान हैं सभी इंसानियत से बढ़ के न मज़हब कोई भी है ये बात जो न जानते नादान हैं सभी दुनिया में उन को रुत्बा ज़ियादा न मिल सका इतनी सी बात ही से पशेमान हैं सभी वीरानियों में चीख़ने वाला ये कौन है ये बात सोच सोच के हैरान हैं सभी बे-बात का ही ख़ौफ़ था इस इम्तिहान का 'अगयात' ये सवाल तो आसान हैं सभी