ये बेकस-ओ-बेक़रार चेहरे सदियों के ये सोगवार चेहरे मिट्टी में पड़े दमक रहे हैं हीरों की तरह हज़ार चेहरे ले जा के इन्हें कहाँ सजाएँ ये भूक के शिकार चेहरे अफ़्रीक़ा-ओ-एशिया की ज़ीनत ये नादिर-ए-रोज़गार चेहरे खोई हुई अज़्मतों के वारिस कल रात के यादगार चेहरे ग़ाज़े से सफ़ेद मय से रंगीं इस दौर के दाग़दार चेहरे गुज़रे हैं निगाह-ओ-दिल से हो कर हर तरह के बे-शुमार चेहरे मग़रूर अना के घोंसले में बैठे हुए कम-अयार चेहरे काबिल-ए-इल्तिफ़ात आँखें ना-क़ाबिल-ए-ए'तिबार चेहरे इन सब से हसीन-तर हैं लेकिन रिंदों के गुनाहगार चेहरे