ये भी कोई वज़्अ आने की है जो आते हो तुम एक दम आए नहीं गुज़रा कि फिर जाते हो तुम दूर से यूँ तो कोई झमकी दिखा जाते हो तुम पर जो चाहूँ ये कि पास आओ कहाँ आते हो तुम कहिए मुझ से तो भला इतना कि कुछ मैं भी सुनूँ बंदा-परवर किस के हाँ तशरीफ़ फ़रमाते हो तुम उस परी-सूरत बला-अंगेज़ को देखा नहीं नासेहो म'अज़ूर हो गर मुझ को समझाते हो तुम देखिए ख़िर्मन पे ये बर्क़-ए-बला किस के पड़े बे-तरह कुछ तेवरी बदले चले आते हो तुम जो कोई बंदा हो अपना इस से फिर क्या है हिजाब मैं तो इस लाएक़ नहीं जो मुझ से शरमाते हो तुम आज ये गो और ये मैदाँ उन्हें कह दीजिए देख लूँ जिन के भरोसे मुझ को धमकाते हो तुम फिर न आवेंगे कभी ऐसी ही गर आज़ुर्दा हो बस चले हम ख़ुश रहो काहे को झुँजलाते हो तुम हालत-ए-'बेदार' अब क्या कीजिए आप आगे बयाँ वक़्त है अब भी अगर तशरीफ़ फ़रमाते हो तुम