ये दस्तक और ये दर मेरा नहीं है अब इस बस्ती में घर मेरा नहीं सफ़र है और ही दरपेश मुझ को ये मुश्त-ए-ख़ाक घर मेरा नहीं है मैं किस बारूद में बिखरी पड़ी हूँ ये धड़ मेरा है सर मेरा नहीं है मुझे मेरे हवाले कर गया है तो क्या है वो अगर मेरा नहीं है ये किस आँगन में झुकता जा रहा है शजर मेरा है घर मेरा नहीं है सफ़र है ख़्वाब में सहरा-ए-जाँ का मगर वो हम-सफ़र मेरा नहीं है मैं क्यों उस की कहानी बन गई हूँ अगर वो हर्फ़-गर मेरा नहीं है अजब सी आँच दिल तक आ रही है ये शोरीदा शरर मेरा नहीं है शब-ए-सज्दा जबीं पर जम गया क्या ये दाग़-ए-इश्क़ गर मेरा नहीं है उरूस-ए-शाम रोती फिर रही है ये आँसू चश्म-ए-तर मेरा नहीं है जो मेरे साथ चलता जा रहा है वो साया है मगर मेरा नहीं है 'सहर' ये और ही दुनिया है कोई यहाँ कोई भी डर मेरा नहीं है