ये दिल हुआ धुआँ धुआँ हवा उड़ा के ले गई फ़ुग़ाँ कि सू-ए-कहकशाँ हवा उड़ा के ले गई ज़ि-बस-कि ख़ैर है जहाँ हवा उड़ा के ले गई बताएँ कैसे जान-ए-जाँ हवा उड़ा के ले गई ये मुस्तक़िल मुसाफ़िरत भला किसे अज़ीज़ थी नसीब है यहाँ वहाँ हवा उड़ा के ले गई निज़ाम-ए-काएनात के ख़िलाफ़ कुछ नहीं हुआ तसाहुली की धज्जियाँ हवा उड़ा के ले गई ख़ुदा-न-ख़ास्ता ख़ुदा से नाख़ुदा को था गुरेज़ भँवर में सारी कश्तियाँ हवा उड़ा के ले गई ज़ईफ़ बाग़बान से मुज़ाहिमत न हो सकी गुलों से ताज़गी कहाँ हवा उड़ा के ले गई सुनहरे दौर का अजीब तौर ख़ात्मा हुआ जहाँ की ख़ाक थी वहाँ हवा उड़ा के ले गई लहू लहू ज़मीं हुई दरख़्त जब लरज़ उठे तो ज़ालिमों की पगड़ियाँ हवा उड़ा के ले गई मुआ'शरे के नौनिहाल थे हवा के जाल में न होने पाए नौजवाँ हवा उड़ा के ले गई वबा-ए-साख़्ता को सब बला-ए-आसमाँ कहें गली गली ये दास्ताँ हवा उड़ा के ले गई वही चराग़ सा हमारे दिल में एक फूल था उसे भी 'सरफ़राज़-ख़ाँ’ हवा उड़ा के ले गई