ये दिल की दास्तान है कि दिल ग़ुलाम कर दिया अजीब लोग आप हैं अजीब काम कर दिया तुम्हारी ये सख़ावतें तुम्हारी ये इनायतें जो ग़म तुम्हारे पास था हमारे नाम कर दिया दिलों का भेद खुल गया तो फिर अजीब रंग में दबी दबी सी बात को किसी ने आम कर दिया किसी को सुर्ख़-रू किया किसी की बज़्म-ए-शौक़ में ज़रा ज़रा सी बात पर ये एहतिमाम कर दिया कभी हमें बुरा लगा कभी हमें भला लगा हमारे दिल की बात को किसी ने आम कर दिया उड़ान ख़ूब-तर हुई जो पंछियों की डार की तो घेर-घार कर किसी ने ज़ेर-ए-दाम कर दिया