ये दुआ काश पुर-असर हो जाए मेरा हर ख़्वाब मो'तबर हो जाए प्यासी प्यासी सी ज़िंदगी की ज़मीं तेरी यादों से तर-ब-तर हो जाए ज़िक्र तेरा हो फ़िक्र तेरी हो उम्र कुछ इस तरह बसर हो जाए बदलें तारीकियाँ उजालों से क़ुर्ब हासिल तिरा अगर हो जाए अब्र-ए-रहमत है प्यासा प्यासा दिल इस तरफ़ भी तो इक नज़र हो जाए दिल को मेरे सँभाल ले मौला इस से पहले कि दर-ब-दर हो जाए है वही होशियार 'नीलम' जो मौत से पहले बा-ख़बर हो जाए