ये फ़ैसला तो बहुत ग़ैर-मुंसिफ़ाना लगा हमारा सच भी अदालत को बाग़ियाना लगा हमारे ख़ून से भी उस की ख़ुशबुएँ फूटीं हमें तो क़त्ल भी कर के वो बेवफ़ा न लगा लगाई आग भी इस एहतिमाम से उस ने हमारा जलता हुआ घर निगार-ख़ाना लगा हम इतना रूह की गहराइयों के आदी थे कि डूबता हुआ दिल डूबता हुआ न लगा ये ख़ाम माल मिलेगा बहुत ही कम दामों लहू हो जिस की ज़रूरत वो कारख़ाना लगा किसी भी शख़्स से जब उस की ख़ैरियत पूछी तो अपना लहजा-ए-पुर्सिश भी ताज़ियाना लगा ये कौन लोग 'मुज़फ़्फ़र' की कर रहे थे बुराई मिले हैं हम भी बहुत हम को वो बुरा न लगा