ये हादिसा भी सर-ए-रहगुज़ार होना था तिरी तलाश में मुझ को ग़ुबार होना था उचक लिया है उन्हें भी ख़िज़ाँ के मौसम ने वो फूल-पात कि जिन को बहार होना था हमें ख़बर थी तिरी तर्ज़-ए-बादशाही से हुनर-वरों को ही बे-इख़्तियार होना था उन्ही के हाथ गरेबान में पड़े हुए हैं जिन्हें सदा से ही ख़िदमत-गुज़ार होना था गुमाँ की धूल मिरे दिल पे मल गया है वही वो शख़्स जिस को मिरा ए'तिबार होना था भरोसा ग़ैर की छाँव पे हम न करते अगर सरों पे साया-ए-परवरदिगार होना था बदल दिया उन्हें मिट्टी के बर्तनों में 'नबील' वो चीज़ें जिन को बहुत पाएदार होना था