ये ज़ाद-ए-राह हमेशा सफ़र में रख लेना बिछड़े वक़्त का मंज़र नज़र में रख लेना मिले तो रास भी आए लकीर हाथों की ये इक कमाल भी दस्त-ए-हुनर में रख लेना सफ़र है लौट के आना अगर नसीब न हो सजा के याद मिरी चश्म-ए-तर में रख लेना हमारी ज़द में है पूरी तरह फ़सील-ए-शब हमारा नाम नुमूद-ए-सहर में रख लेना किसी की याद की ख़ुशबू सफ़र में साथ चले किसी के हिज्र का मौसम नज़र में रख लेना