ये जब से रात बुज़दिल हो गई है दिए की जंग मुश्किल हो गई है चराग़ों को ज़रा सा हौसला दो हवा कुछ और क़ातिल हो गई है मुझे यूँ छोड़ कर जाती कहाँ पर उदासी ख़ूँ में शामिल हो गई है कहाँ मुमकिन है उस को ढूँढना अब नदी सहरा में दाख़िल हो गई है उसे लज़्ज़त नहीं मा'लूम ग़म की उसे हर चीज़ हासिल हो गई है तमन्ना नाँव बन कर बह रही है मोहब्बत एक साहिल हो गई है दिखाए हैं तमाशे ज़िंदगी ने मगर जीने के क़ाबिल हो गई है