ये ज़िंदगानी किसी की यादों से मुत्तसिल है सो उस के जाने पे दिल मिरा मुझ से मुश्तइ'ल है ख़ुसूसी बातें जो शाइ'री की हैं एक उन में ये ख़ून पीती है और पीती भी मुस्तक़िल है हमारा हर दिन किताब का एक बाब है और किताब वहशत की दास्तानों पे मुश्तमिल है है एक ख़्वाहिश कि बहते पानी में जो है मुज़्मर है एक हसरत कि जो किनारों से मुंफ़सिल है किसी ने सब का नसीब लिक्खा है और 'आजिज़' हमारी क़िस्मत में शाइ'री है जो जाँ-गुसिल है