ये जो हम अपनी ख़ानक़ाह में हैं इस का मतलब तिरी निगाह में हैं थक चुका हूँ मैं इन से मिल मिल कर और कितने दरख़्त राह में हैं शे'र पर दाद दे रहे हो तुम तंज़ लेकिन तुम्हारी वाह में हैं ये जो मस्ती है ग़म का पर्दा है क़हक़हे गुम हमारी आह में हैं चाँद निकला नहीं अभी लेकिन कुछ सितारे चराग़-गाह में हैं तुम 'फ़िदा' क्यों नहीं हुए उन पर वो जो अब तक तिरी निगाह में हैं