ये जो इक लड़की पे हैं तैनात पहरे-दार सौ देखती हैं उस की आँखें भेड़िये ख़ूँ-ख़्वार सौ दिक़्क़तें अक्सर वो मेरी बाँटती है इस तरह अपने बक्से से निकालेगी अभी दो चार सौ आएँगी जब मुश्किलें तो वो बचा लेगा मुझे इक भरोसा देगा और करवाएगा बेगार सौ रेस में होगी सड़क पर ज़िंदगी की गाड़ियाँ एक अस्सी पर चलेगी एक की रफ़्तार सौ कितना मुश्किल काम है अच्छाइयों को ढूँढना यूँ तो ख़बरों से भरे हैं रोज़ ही अख़बार सौ