ये जो मेरे अंदर फैली ख़ामोशी है तुम क्या जानो कितनी गहरी ख़ामोशी है उस की अपनी ही इक छोटी सी दुनिया है इक गुड़िया है एक सहेली ख़ामोशी है तेरा साया तेरे साथ सफ़र करता है मेरे साथ मुसलसल चलती ख़ामोशी है फ़ुर्क़त का दुख बस वो समझे जिस पर बीते मैं हूँ सूना घर है गहरी ख़ामोशी है शब के पिछले लम्हों में अक्सर देखा है तन्हाई से मिल कर रोती ख़ामोशी है ये मौसम ये मंज़र रूठे रूठे से हैं जैसे सर्द रवय्ये वैसी ख़ामोशी है लगता है कि तुम ने भी कुछ देख लिया है हर लम्हे जो तुम पर तारी ख़ामोशी है मुझ को 'अन्सर रोज़ परेशाँ कर देती है तेरे होंटों पर जो रहती ख़ामोशी है