ये कौन अपने अंदर बेदार हो गया है मेरी अना के आगे दीवार हो गया है एहसास मेरे ग़म का इज़हार हो गया है तरकश का तीर फिर से बे-कार हो गया है दिन-रात की कशाकश बेज़ार कर गई तो लड़ने को ज़िंदगी से तय्यार हो गया है पत्थर की बे-हिसी है हर दास्तान दिल की तहज़ीब का अनोखा मेआ'र हो गया है आँखें बता रही हैं इक एक बात दिल की दुनिया की चाहतों का आज़ार हो गया है अपनी हक़ीक़तों से चेहरों को क्या छुपाएँ आईना आप अपना किरदार हो गया है