ये माना कुछ यहाँ ज़ाया नहीं है मगर वो मसअला सुलझा नहीं है भला कैसे मोहब्बत कर लें जानाँ हुआ क्या ज़ख़्म गर ताज़ा नहीं है मिरे आँसू तुम्हारे दिल के बदले मिरी जाँ ज़िंदगी सौदा नहीं है बड़े चुप-चाप रहने लग गए हो ज़माने को अभी परखा नहीं है कहाँ से लाए हो ये तिश्नगी तुम हमारी आँख में दरिया नहीं है चलो अब ख़त्म कर दें हम ये रिश्ता हदों को तोड़ना अच्छा नहीं है