ये मैं हूँ तुझ में अब या मुझ में तू है ये कौन अब आइने में रू-ब-रू है ये दिल है और है तेरा तसव्वुर ज़बाँ है और तेरी गुफ़्तुगू है उन्हीं का है ये दिल भी आरज़ू भी न दिल मेरा न मेरी आरज़ू है रहा करता हूँ कुछ खोया हुआ सा ख़ुदा जाने मुझे क्या जुस्तुजू है हुआ हूँ मैं फ़ना-फ़िल-इश्क़ 'बिस्मिल' न अब दिल है न दिल की आरज़ू है