ये मन-भावन सा अपना-पन जाने कहाँ से लाते हो जब आते हो दिल का टुकड़ा एक चुरा ले जाते हो चुप-चुप रह के कुछ नहीं कह के क्या से क्या कह जाते हो दबे दबे बुझते ख़्वाबों को और हवा दे जाते हो छोटी छोटी मीठी बातें भूल चुके थे हम जिन को हल्के हल्के याद दिला के इस दिल को सहलाते हो जाते वक़्त यही कहते हो अगली बार न जाओगे कैसे कैसे ना-मुम्किन से वा'दे तुम कर जाते हो आते ही जाने की जल्दी देर न हो घबराते हो देर हुई तो कभी कभी इस दिल में भी रह जाते हो