ये मरज़ इश्क़ का बना क्यूँ है दर्द ही दर्द की दवा क्यूँ है उस का मिलना अगर है ना-मुम्किन उस से ही इश्क़ फिर हुआ क्यूँ है पल-दो-पल ही उसे निहारा था उम्र-भर की मिरी सज़ा क्यूँ है नज़रें सब पर अगर रखे है ख़ुदा सब की नज़रों से वो छुपा क्यूँ है मेरे पास आग ही नहीं है जब मेरे हाथों में इक दिया क्यूँ है वक़्त रहते समझ नहीं आता जो मिला है हमें मिला क्यूँ है एक हद में तुम्हें जो रहना था मुझ को फिर इस तरह छुआ क्यूँ है वक़्त देना तो तेरा दिल बदला बस वो जज़्बा मिरा बचा क्यूँ है