ये सानेहा भी हो गया है रस्ते में जो रहनुमा था वही खो गया है रस्ते में किसी भी आबला-पा को न मिल सकी तस्कीन अजीब ख़ार कोई बो गया है रस्ते में इ'ताब-ए-जाँ हुई गर्द-ए-सफ़र किसी के लिए किसी को अब्र-ए-करम धो गया है रस्ते में हुदी की लय करो मद्धम ऐ क़ाफ़िले वालो थकन से चूर कोई सो गया है रस्ते में मुसाफ़िरान-ए-वफ़ा की कोई ख़बर न मिली न जाने कौन किधर को गया है रस्ते में रहेगा साथ कहाँ तक ये देखना है मुझे वो हम-सुख़न तो मिरा हो गया है रस्ते में