ये सितारे मुझे दीवार नहीं होने के ख़्वाब से हम तिरे बेदार नहीं होने के मैं ने पलकों को बिछाया है तिरे क़दमों में रास्ते अब तुझे दुश्वार नहीं होने के चाहे तू जाम-ए-बक़ा देने का वा'दा कर ले ऐ मसीहा तिरे बीमार नहीं होने के दर्द-ए-कौनैन से लबरेज़ हों जिन के दामन वो मिरे ग़म के ख़रीदार नहीं होने के एक ही ईंट पे हम ने जो किया है तकिया हम कभी साहब-ए-दीवार नहीं होने के चाय की प्याली में तूफ़ान उठाने वालो ये तमाशे सर-ए-बाज़ार नहीं होने के जाप कर ले तू मोहब्बत के हज़ारों लेकिन तेरे दुश्मन तिरे दिलदार नहीं होने के जिन के सीनों में गड़ी कुफ़्र की मेख़ें हूँ 'सहर' वो कभी दीं के वफ़ादार नहीं होने के