ये सुब्ह-ओ-शाम मिरी है न साज़-ओ-रख़्त मिरा है कोई और जो करता है बंदोबस्त मिरा दिमाग़-ए-सैर-ए-नफ़स सोज़-ओ-साज़-ए-रंज-ओ-निशात मियान-ए-बीम-ओ-रजा है ये बूद-ओ-हस्त मिरा मुझे है ज़र्रा-ए-ख़ाकी भी मत्ला-ए-गर्दूं बुलंद-बीं है ख़याल-ए-बुलंद-ओ-पस्त मिरा मिरे फ़साने में यज़्दाँ भी अहरमन भी मगर वो ढूँढता रहा उन्वान-ए-सर-गुज़श्त मिरा ये लड़खड़ाते सितारे ये जू-ए-मस्त-ए-ख़िराम बिखर रहा है ख़याल-ए-जुनूँ-परस्त मिरा मिरे नदीम-ए-दिल-ओ-जाँ पे ख़ुसरवी तस्लीम शही असा-ए-दिल-आरा की ताज-ओ-तख़्त मिरा फ़लक-नुमा था जमाल-ए-ग़ज़ाल रम-ख़ुर्दा उसी के साथ गया आसमान-ए-बख़्त मिरा न जाने क्यूँ उसे सच नागवार गुज़रा है कि दिल-नवाज़ था लहजा न था करख़्त मिरा