ये तेरी सर्द-मेहरी ये तेरी कज-अदाई इक हुस्न-ए-दिल-फ़रेबी इक शान-ए-दिलरुबाई आलम से तेरा छुपना है आलम-आश्नाई पिन्हाँ हिजाब में है अंदाज़-ए-ख़ुद-नुमाई ऐ इश्क़-ए-फ़ित्ना-सामाँ तेरी समझ कहाँ है मासूम हुस्न के सर इल्ज़ाम-ए-बेवफ़ाई उस दर का कोई सज्दा मक़्बूल हो अजब क्या कुछ हम भी आज कर लें तक़दीर-आज़माई धारे पे बहर-ए-ग़म के बे-ख़ौफ़ जा रहे हैं कश्ती नहीं हमारी मुहताज-ए-ना-ख़ुदाई ऐ ख़ाक-ए-राह-ए-मंज़िल अब तुझ पे बार हैं हम हम को बिठा चुका है रंज-ए-शिकस्ता-पाई उठवा रहा है मुझ को 'नुदरत' किसी के दर से ये ज़ौक़-ए-सज्दा-रेज़ी ये शौक़-ए-जिब्हा-साई