यूँ बे-कार न बैठो दिन भर यूँ पैहम आँसू न बहाओ इतना याद करो कि बिल-आख़िर आसानी से भूल भी जाओ सारे राज़ समझो लो लेकिन ख़ुद क्यूँ उन को लब पर लाओ धोका देने वाला रो दे ऐसी शान से धोका खाओ ज़ुल्मत से मानूस हैं आँखें चाँद उभरा तो मुँद जाएँगी बालों को उलझा रहने दो इक उलझाव सौ सुलझाव कल को कल पर रक्खो जब कल आएगा देखा जाएगा आज की रात बहुत भारी है आज की रात यहीं रह जाओ कब तक यूँ पर्दे में हुस्न मोहब्बत को ठुकराता मौत का दिन भी हश्र का दिन है छुपने वालो सामने आओ