यूँ नहीं कोई दुआ बाक़ी नहीं मेरे हिस्से की हवा बाक़ी नहीं तेरे होने के तसव्वुर से भी दूर या'नी तेरा आसरा बाक़ी नहीं आँख है वाबस्ता-ए-ख़्वाब-ए-अजल यारो कोई रतजगा बाक़ी नहीं सुन रहा हूँ दूर आवाज़-ए-जरस और मेरा क़ाफ़िला बाक़ी नहीं अक्स की बेचारगी को देख कर मैं ये समझा आइना बाक़ी नहीं