यूँ तो मिलने को इक ज़माना मिला न मिला हाँ वो बेवफ़ा न मिला आश्नाई में कुछ मज़ा न मिला आश्ना दर्द-आश्ना न मिला जब मिले वो खिचे तने ही मिले लुत्फ़ मिलने का इक ज़रा न मिला हम-नवा सब ख़िज़ाँ के आते ही ऐसे पत्ता हुए पता न मिला खो के दिल को हम इस क़दर ख़ुश हैं जैसे क़ारून का ख़ज़ाना मिला शाद क्या हूँ हुसूल-ए-जन्नत पर कि रुपए में से एक आना मिला आशिक़ी क्या है सच जो पूछो तो हम को मरने का इक बहाना मिला ज़िंदगानी थी या परेशानी सब किया और कुछ मज़ा न मिला रोइए उस की बद-नसीबी पर ढूँढने पर जिसे ख़ुदा न मिला मुझ से मिलने में क्या बुराई है आप के दिल का मुद्दआ' न मिला मिल गया दिल जो हम से मिलना था आँख अब हम से तो मिला न मिला खिच के मिलना भी कोई मिलना है एक है वो जो यूँ मिला न मिला फिर समाई 'सफ़ी' से मिलने की क्यूँ तुम्हें कोई दूसरा न मिला क़द्र करता हूँ अपनी आप 'सफ़ी' वाह मुझ को भी क्या ज़माना मिला