यूँही चलते रहने से क्या होगा अपना कहने को बस इक रस्ता होगा सहरा जंगल दश्त न वीराना कोई दीवाने का घर जाने कैसा होगा उस को लगता है कि मैं बिल्कुल तन्हा हूँ किस के साथ मुझे उस ने देखा होगा उस का डर मेरे डर से मिल कर बोला हम न हुए तो इन दोनों का क्या होगा