दिल की दीवाना तबीअ'त को मुसीबत न बना तुझ से याराना है याराना मोहब्बत न बना मैं तुझे दिल की सुनाता हूँ मुझे तू दिल की इस सुहूलत को मिरी जान अज़िय्यत न बना हम को ले दे के तअ'ल्लुक़ ही बचा है तेरा इस को मश्कूक न कर बाइ'स-ए-तोहमत न बना एक दीवार ने रिश्तों का तक़द्दुस तोड़ा भाई रोका था तुझे घर में ये ला'नत न बना नींद को ताक़ पे धर और दिया पहलू में गिर्या-ए-आख़िर-ए-शब में कोई दिक़्क़त न बना बेटियाँ रिज़्क़ में बरकत का सबब होती हैं घर की रहमत को ग़लत सोच से ज़हमत न बना अक्स का होना है मशरूत तिरे होने से ख़ुद को पहचान मगर अक्स को हैरत न बना हू-ब-हू उस की अदाओं की अदा लाज़िम है यार की सुन्नत-ए-मसऊद को बिदअ'त न बना इख़्तिलाफ़ात हैं इंसान का ख़ासा 'तहसीन' बहस करनी है तो कर बहस को नफ़रत न बना