ज़रदारों की वक़अत क्या है कौन ये गौहर बाँटेगा हुब्ब-ए-उख़ुव्वत मेहर-ओ-मोहब्बत दिल का तवंगर बाँटेगा मैं ने अन-देखे पर अपना सब कुछ क़ुर्बां कर डाला तू ऐ बरहमन क्या कर बैठा तू क्या पत्थर बाँटेगा अपने मुँह से अपने घर की बात कहो नादानी है एक ही माँ का जाया हो कर कहता है घर बाँटेगा झूठ कपट छल बे-ईमानी चंदा रिश्वत लूट खसूट जिस की सियासत ऐसी होगी क्या वो लीडर बाँटेगा बे-मोहरों के शहर में आख़िर किस से ये उम्मीद करें इस दुनिया में कौन 'असर' के दर्द बराबर बाँटेगा