ये ख़ुद बहल जाएगी तबीअ'त किसी की कोई कमी नहीं है मुझे दिलासों की क्या ज़रूरत मिरी मुसीबत नई नहीं है सुना बहुत था हमारे क़िस्से सभी जरीदों में छप चुके हैं में पढ़ चुकी हूँ ये सारे कॉलम वो इक ख़बर तो लगी नहीं है ये ग़म शराकत का वो ही समझे जो इस अज़िय्यत में मुब्तला है तुम इतने मग़रूर इस लिए हो तुम्हारी चाहत बटी नहीं है अलग अलग हैं हमारी राहें हमारी मुश्किल जुड़ी हुई है मुझे मसाफ़त के हैं मसाइल उसे भी मंज़िल मिली नहीं है तुम्हारा लहजा तुम्हारी बातों का साथ देने से डर रहा है ये सब दिखावा ही कर रहे हो तुम्हें मोहब्बत हुई नहीं है