ज़िंदगी से जो जंग हारा था सब ग़ुरूर उस का पारा-पारा था चाँद कोई कोई सितारा था माँ को बच्चा हर एक प्यारा था मेरी मजबूरी थी सफ़र करना मेरे दिल को कहाँ गवारा था हो के आज़ाद हम ये भूल गए दोस्तो फ़र्ज़ क्या हमारा था राहगीरों को बूढ़े बरगद का आते जाते बड़ा सहारा था