चंद अदब ज़ौक़ हज़रात उर्दू के एक शायर की मदह-सराई कर रहे थे। उनमें से एक ने कहा, “साहिब इनकी क्या बात है। बहुत बड़े शायर हैं। अब तो हुकूमत के ख़र्च पर यूरोप भी हो आये हैं।” हरिचंद अख़्तर ने ये बात सुनी तो निहायत मतानत से कहा, “जनाब अगर किसी दूसरे मुल्क में जाने ही से कोई आदमी बड़ा शायर होजाता है तो मेरे वालिद मुल्क-ए-अदम जा चुके हैं, लेकिन ख़ुदा-गवाह, वो कभी एक शे’र तक मौज़ूं नहीं करसके।”