दस्तक Admin बाल कहानी, Latiife << मांगे के पैसों से तवाज़ो (... मैं बाग़ी कैसे? >> उस्ताद (शागिर्द से): दस्तक को जुम्ले में इस्तिमाल करो। शागिर्द : जनाब मझे दस तक गिनती आती है। Share on: