इकाई, दहाई, सैंकड़ा, हज़ार, दस हज़ार। Admin बशिर बद्र शायरी, Latiife << कामयाब मुशायरा? इक़बाल की दाढ़ी और मौलाना ... >> बशीर बद्र ने अपना शे’री मजमूआ’ “इकाई” इस इल्तिमास के साथ फ़िराक़ साहिब को भेजा कि वो अपनी गिरां क़दर राय से नवाज़ें। फ़िराक़ साहिब ने अपनी राय लिखी: “इकाई, दहाई, सैंकड़ा, हज़ार, दस हज़ार।” आपका फ़िराक़-गोरखपुरी Share on: