नैनीताल क्लब में मुशायरा हो रहा था और निज़ामत कर रहे थे जनाब कँवर महिन्द्र सिंह बेदी सहर। मुशायरे के इख्तिताम पर जब बशीर बद्र और वसीम बरेलवी पढ़ने के लिए बाक़ी रह गये तो उन्होंने अपनी मुहब्बत का इज़हार किया: “ये मेरी दोनों आँखें हैं। मैं किस को पहले बुलाऊँ और किस को बाद में।” बशीर बद्र ख़ुद ही उठकर माइक के पास आगये और बोले: “मुझे बेहद अफ़सोस है कि आ’ली-जनाब कँवर साहिब अब एक आँख से महरूम हो रहे हैं।”