नवाब आसिफ़-उद-दौला एक रोज़ इंशा के साथ हाथी पर सवार लखनऊ के किसी मुहल्ले से गुज़र रहे थे। रास्ते में देखा कि एक कुत्ता एक क़ब्र पर पेशाब कर रहा है। नवाब साहिब ने इंशा पर फबती कसी और कहा, “इंशा किसी सुन्नी की क़ब्र मा’लूम होती है।” इंशा ने कहा, “हुज़ूर सच्च फ़र्मा रहे हैं, मगर पेशाब करने वाला शीया मालूम होता है।” इस पर नवाबसाहिब बेसाख़्ता हंस पड़े।