लखनऊ का एक अच्छा होटल जहां मजाज़ कभी-कभी शराबनोशी के लिए जाया करते थे, बंद हो गया। कुछ दिनों बाद मा’लूम हुआ कि उसकी इमारत में कोई सरकारी दफ़्तर खोला जा रहा है।ये सुनकर मजाज़ से न रहा गया। कहने लगे : “सुनते हैं पहले ज़माने में दफ़्तर बेमा’नी को ग़र्क़ मयनाब कर दिया जाता था और अब बेमा’नी दफ़्तरों में मयनाब ग़र्क़ हो जाती है।”