ख़्वाजा हसन निज़ामी ने एक मर्तबा अपने अख़बार “मुनादी” में लिखा कि मैं डाक्टर इक़बाल को हिंदुस्तान का अ’ज़ीम शायर नहीं समझता। उन्हीं दिनों डाक्टर इक़बाल के घुटनों में दर्द हो गया। ख़्वाजा साहब ने उन्हें अपना रौग़न फ़ास्फ़ोरस भेजा जिससे उन्हें इफ़ाक़ा हो गया। उन्होंने ख़्वाजा साहब को ख़त लिखा कि “मुझे आपके रौग़न से इफ़ाक़ा हुआ है।” ख़्वाजा हसन निज़ामी ने वो ख़त अपने अख़बार “मुनादी” में शाए’ कर दिया कि इस तेल के मुतअल्लिक़ शायर-ए-आज़म डाक्टर इक़बाल की क्या राय है? तो डाक्टर इक़बाल ने “मुनादी” अख़बार पढ़ कर कहा कि “शुक्र है ख़्वाजा साहब के रौग़न फ़ास्फ़ोरस ने मुझे शायर-ए-आज़म तो बना दिया।”