एक-बार जोश मलीहाबादी ने जिगर साहिब को छेड़ते हुए कहा "क्या इबरतनाक हालत है आपकी, शराब ने आपको रिंद से मौलवी बना दिया और आप अपने मुक़ाम को भूल बैठे। मुझे देखिए में रेल के खम्बे की तरह अपने मुक़ाम पर आज भी वहां अटल खड़ा हूँ, जहां आज से कई साल पहले था।” जिगर साहिब ने जवाब दिया, “बिला शुबहा आप रेल के खम्बे हैं और मेरी ज़िंदगी रेल-गाड़ी की तरह है, जो आप जैसे हर खम्बे को पीछे छोड़ती हुई हर मुक़ाम से आगे अपना मुक़ाम बनाती जा रही है।”