एक मुशायरे में मजाज़ जब अपनी नीम बेहोशी के आ’लम में भी अपनी नज़्म बोल री ओ धरती बोल राज-सिंघासन डाँवावाँडोल बड़ी कामयाबी के साथ पढ़ चुके तो हंसराज रहबर ने छेड़ते हुए कहा, “मजाज़ भाई! क्या ये नज़्म तुमने शराब पी कर कही थी...?” “बल्कि कहने के बाद भी पी ली थी।” मजाज़ ने तुर्की ब तुर्की जवाब दिया।