चेम्सफोर्ड कलब के एक मुशायरे में जिसकी निज़ामत कँवर महिन्द्र सिंह बेदी कर रहे थे, उन्होंने जनाब अ’र्श मलसियानी से कलाम सुनाने की गुज़ारिश की, जब अ’र्श साहिब माइक की तरफ़ जाने लगे तो बेदी साहिब ने फ़रमाया: अ’र्श को फ़र्श पर बिठाता हूँ मो’जिज़ा आपको दिखाता हूँ इसी तरह दूसरे शायर को बुलाने से पहले फ़रमाने लगे कि: क्या सितम ज़रीफ़ी है कि अब मैं आपके सामने एक ऐसे शायर को पेश कर रहा हूँ जो हर तरफ़ से घिरा हुआ है और क़ाफ़िया रदीफ़ का भी पाबंद है। इसपर सितम ये कि सरकारी मुलाज़िम भी है और तख़ल्लुस है ‘आज़ाद’। इसपर जगन्नाथ आज़ाद उठकर माइक पर तशरीफ़ ले आये।