वालदैन (माता-पिता) का सआ’दत-मंद होना Admin क़िस्मत शायरी, Latiife << साग़र का अँगूठा ग़ज़ल की इस्लाह >> किसी साहिब ने एक बार मजाज़ से पूछा, “क्यों साहिब! आपके वालदैन आपकी रिंदाना बे-ए’तिदालियों पर कुछ ए’तराज़ नहीं करते?” “जी नहीं।” मजाज़ बोले। “क्यों...?” “लोगों की औलाद सआ’दत-मंद (सौभाग्यशाली) होती है लेकिन ख़ुशक़िस्मती से मेरे वालदैन सआदत-मंद हैं।” Share on: