इस कदर छलकते है आँसू पलकों पे छुपा नहीं सकता
मेरे कदम रोकते हैं मुझको उसके दर पे जा नहीं सकता
न जाने किस की गलती थी कोई रूठ गया था मुझसे
आज उसे मनाने की ख्वाहिश है पर दिल मजबूर है इतना कि मना नहीं सकता।
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