इद्दत By तंज़ ओ मिज़ाह, Mazahiya << इलाज-ए-दिल कस्मसाने की इजाज़त नहीं द... >> सद्र साहिब चार माह दो रोज़ की रुख़्सत में हैं और ब-ज़ाहिर वो पिशावर में अभी फ़ुर्सत में हैं उन को लैला की सदारत की जुदाई का है ग़म घर से बाहर कैसे निकलें वो अभी इद्दत में हैं Share on: