इलाज-ए-दिल By सियासत, Mazahiya << 'ग़ालिब' को बुरा ... इद्दत >> डॉक्टर से मैं इलाज-ए-दिल कराने जब गया मशवरा उस ने दिया तू शेर कहना छोड़ दे और ब्लड-प्रेशर के बारे में जो पूछा तो कहा ऐ मरीज़-जाँ-ब-लब अख़बार पढ़ना छोड़ दे Share on: