आरज़ुओं को वुसअ'त न दो अपने ही दाएरे में मुक़य्यद करो वर्ना ये फैल कर हर तरफ़ से तुम्हें घेर लेंगी नोच डालेंगी ज़ख़्मी करेंगी ख़ुद बिखर जाएँगे मर जाएँगे अपनी ही लाश सर पर उठाए बीच बाज़ार नंगे फिरोगे अपने ही लोग नज़दीक आ कर तुम को देखेंगे मुँह फेर लेंगे तुम को ग़लती का एहसास होगा थूक निगलोगे कड़वा लगेगा रात वीरान बे कैफ़ होगी दिन पहाड़ों सा भारी लगेगा आरज़ूओं को वुसअ'त न दो अपने ही दाएरे में मुक़य्यद करो वर्ना ये फैल कर हर तरफ़ से तुम्हें घेर लेंगी