यूँ तो मौसम आए भी और चल दिए कितने मौसम क्या दिए क्या ले गए किस को पता हम तो इतना जानते हैं पेड़ पर जब कोंपलें फूटीं खिले कुछ फूल तो ये ख़ैर कहलाए मगर जब पेड़ की शाख़ों पे काँटे उग रहे थे शर कहा दुनिया ने उस को याद रखना पेड़ जब तक पेड़ है कोंपलें और फूल काँटे जन्म लेते ही रहेंगे मौसमों का क्या है ये आते रहे जाते रहे