आफ़ियत की तलाश में By Nazm << आओ जीने की बातें करें उठ के दर से तुम्हारे अगर ... >> कराची एक ज़ख़्मी ख़ानमाँ-बर्बाद कछवा जिस के सब बाज़ू थकन से बेबसी से शल हुए हैं जहाँ भर के दुखों का बोझ उठाए बहुत हलकान ख़ुश्की पर पड़ा है अब अपने आँसुओं से ज़ख़्म भरना चाहता है जो अंडे बच गए हैं वो सँभाले समुंदर में उतरना चाहता है Share on: